ईरान के फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट पर इज़राइल क्यों नहीं कर पा रहा हमला? जानिए वजह और भविष्य की रणनीति
ईरान का फोर्डो परमाणु ठिकाना 90 मीटर गहराई में बना है, जिसे इज़राइल पारंपरिक हमलों से नष्ट नहीं कर पा रहा। जानिए पूरी रिपोर्ट।
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इज़राइल ईरान के फोर्डो न्यूक्लियर फैसिलिटी पर अब तक हमला क्यों नहीं कर पाया — और इसके लिए क्या चाहिए
मध्य-पूर्व में हालात उस समय और तनावपूर्ण हो गए जब इज़राइल ने अचानक ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ शुरू कर ईरान की रणनीतिक परमाणु और सैन्य संरचनाओं पर हमले किए। इस अभियान में प्रसिद्ध नतांज़ यूरेनियम संवर्धन संयंत्र सहित कई ठिकानों को निशाना बनाया गया। लेकिन एक ऐसा अत्यंत संवेदनशील केंद्र अब भी इज़राइल की पहुँच से बाहर है — और वह है ईरान का फोर्डो न्यूक्लियर फैसिलिटी।
फोर्डो को इतना अभेद्य क्या बनाता है?
ईरान की राजधानी तेहरान से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में, पवित्र शहर क़ोम के निकट स्थित यह फोर्डो फैसिलिटी, देश का सबसे सुरक्षित और गोपनीय परमाणु ठिकाना माना जाता है। इसकी खासियत सिर्फ इसका उद्देश्य नहीं — यानी यूरेनियम को 60% तक संवर्धित करना, जो कि 90% हथियार-स्तरीय यूरेनियम के बेहद करीब है — बल्कि इसका स्थान है। यह संयंत्र 80 से 90 मीटर गहरे पहाड़ के नीचे बना है, जिससे पारंपरिक हवाई हमले इसे नुकसान नहीं पहुँचा सकते।
2009 में पहली बार सार्वजनिक तौर पर सामने आए इस ठिकाने को तब से ही वैश्विक परमाणु अप्रसार चिंताओं के केंद्र में माना जाता रहा है। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की रिपोर्ट के अनुसार, यहां ईरान के सबसे आधुनिक सेंट्रीफ्यूज लगे हैं, जो तेहरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को लेकर वैश्विक चिंताओं को और बढ़ाते हैं।
इज़राइल अकेले क्यों नहीं कर सकता हमला?
हालांकि इज़राइल ने ऑपरेशन राइजिंग लायन के शुरुआती चरण में फोर्डो के आसपास हमले किए और कुछ विस्फोटों की आवाज़ें भी सुनी गईं, लेकिन इनसे कोई वास्तविक नुकसान नहीं हुआ। विशेषज्ञों के अनुसार, इज़राइल के पास उतनी गहराई तक जाने वाले बंकर-भेदी बम नहीं हैं, जो इस तरह के दुर्गम भूमिगत ठिकानों को भेद सकें।
यहीं पर अमेरिका की भूमिका अहम हो जाती है। केवल अमेरिकी सेना के पास ही है GBU-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनिट्रेटर (MOP) — एक 30,000 पाउंड (लगभग 14,000 किलोग्राम) वजनी बंकर-भेदी बम, जिसे अत्यधिक सुरक्षित भूमिगत ठिकानों को ध्वस्त करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह बम केवल B-2 स्पिरिट स्टेल्थ बॉम्बर के ज़रिए ही गिराया जा सकता है, जो इज़राइल के पास नहीं है।
राजनैतिक संकट और रणनीतिक उलझन
भले ही इज़राइल फोर्डो को अपने अस्तित्व के लिए एक गंभीर खतरा मानता हो, लेकिन अमेरिका की सीधी सैन्य भागीदारी इस पहले से ही संवेदनशील क्षेत्रीय संघर्ष को और गंभीर रूप से भड़का सकती है। अब तक वॉशिंगटन ने केवल अपने सैनिकों और ठिकानों की सुरक्षा की है और इज़राइल की ओर आने वाले हमलों को रोकने का काम किया है। ईरानी बुनियादी ढाँचे पर कोई सीधा हमला अमेरिका ने नहीं किया है।
यदि फोर्डो पर हमला किया गया, तो इससे न केवल अमेरिका इस संघर्ष में गहराई से शामिल हो जाएगा, बल्कि यह पूरे क्षेत्र को एक बड़े युद्ध की ओर धकेल सकता है — जिसकी दोनों देशों ने अब तक सावधानीपूर्वक बचाव किया है।
आगे का रास्ता क्या है?
जैसे-जैसे इज़राइल का अभियान जारी है और पूरी दुनिया इस पर नजर बनाए हुए है, फोर्डो का भविष्य फिलहाल अनिश्चित बना हुआ है। खुफिया एजेंसियों और विश्लेषकों का मानना है कि जब तक कोई कूटनीतिक समाधान नहीं निकलता या अमेरिका सैन्य हस्तक्षेप नहीं करता, फोर्डो में यूरेनियम का संवर्धन उच्च स्तर पर जारी रहेगा।
यह स्थिति सैन्य रणनीति, क्षेत्रीय राजनीति और वैश्विक सुरक्षा के बीच बेहद नाजुक संतुलन को दर्शाती है — जो फिलहाल दुनिया के सबसे अस्थिर इलाकों में बेहद बारीक धागे पर टिका हुआ है।